SBI Home Loan: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में रेपो रेट में कटौती की है, जिसके बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) समेत कई बैंकों ने अपनी लेंडिंग रेट घटा दिए हैं। यह बदलाव उन करोड़ों ग्राहकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जिन्होंने होम लोन, पर्सनल लोन और अन्य रिटेल लोन लिया है। इस लेख में, आइए हम इस परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं और इसके संभावित लाभों पर चर्चा करें।
रेपो रेट में कटौती का महत्व
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को पैसा उधार देता है। जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है तो इसका सीधा असर बैंकों की लेंडिंग रेट पर पड़ता है। हाल ही में आरबीआई ने रेपो रेट को 6.50% से घटाकर 6.25% कर दिया है। इस कटौती का मकसद अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करना और ग्राहकों को सस्ती दरों पर कर्ज उपलब्ध कराना है।

SBI Home Loan
एसबीआई की नई ब्याज दरें
आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कटौती के बाद एसबीआई ने अपनी एक्सटर्नल बेंचमार्क बेस्ड लेंडिंग रेट (ईबीएलआर) और रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (आरएलएलआर) को भी घटा दिया है। नई ब्याज दरें 15 फरवरी 2025 से लागू होंगी।
- EBLR: पहले EBLR 9.15% + CRP + BSP था, जिसे घटाकर 8.90% + CRP + BSP कर दिया गया है।
- RLLR: RLLR को 8.75% + CRP से घटाकर 8.50% + CRP कर दिया गया है।
ग्राहकों को मिलने वाले लाभ
कम ईएमआई: ब्याज दरों में कमी से होम लोन की ईएमआई कम हो सकती है। जिन ग्राहकों के पास लंबी लोन अवधि है उन्हें 1.8% तक की राहत मिल सकती है। इससे ग्राहकों को अपनी मासिक किस्तों का बोझ कम करने में मदद मिलेगी।
लोन जल्दी चुकाने का मौका: ब्याज दरें कम होने के कारण ग्राहक अपना लोन जल्दी चुका सकेंगे। इससे उन्हें वित्तीय स्वतंत्रता हासिल करने में मदद मिलेगी।
बिजनेस लोन के लिए भी लाभ: होम लोन के साथ-साथ बिजनेस लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए भी यह कटौती फायदेमंद होगी। कम ब्याज दरें व्यवसायों की लागत को कम करेंगी, जिससे वे अपने व्यवसाय को अधिक प्रभावी ढंग से चला सकेंगे।
एमसीएलआर और बेस रेट में कोई बदलाव नहीं
हालांकि, एसबीआई ने अपने एमसीएलआर, बेस रेट और बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। जिन ग्राहकों का लोन एमसीएलआर से जुड़ा है, उन्हें अभी ब्याज दर में कोई राहत नहीं मिलेगी। लेकिन, वे अपने ऋण को ईबीएलआर या आरएलएलआर में स्थानांतरित करके कम ब्याज दर का लाभ उठा सकते हैं।
ईबीएलआर और आरएलएलआर के बीच अंतर
- EBLR (बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दर): यह दर विभिन्न बाहरी बेंचमार्क पर आधारित है जैसे कि 10-वर्षीय सरकारी बॉन्ड यील्ड। यह दर बाजार की स्थितियों के अनुसार बदलती रहती है।
RLLR (रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट): यह दर सीधे RBI की रेपो रेट से जुड़ी होती है। जब RBI रेपो रेट में बदलाव करता है, तो RLLR में भी तुरंत बदलाव होता है।
ग्राहकों के लिए सलाह
अगर आपका लोन ईबीएलआर या आरएलएलआर से लिंक है तो आपको कम ईएमआई का फायदा मिल सकता है। लेकिन, अगर आपका लोन एमसीएलआर से जुड़ा हुआ है, तो आपको राहत पाने के लिए अपने लोन को ईबीएलआर या आरएलएलआर में बदलने पर विचार करना चाहिए।
एसबीआई द्वारा ब्याज दरों में यह कटौती न केवल होम लोन और पर्सनल लोन ग्राहकों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक संकेत है।
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निष्कर्ष – SBI Home Loan
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