EMI Bounce 2025: वित्तीय आपात स्थितियों के कारण कई बार, लोग समय पर अपने ऋण ईएमआई का भुगतान करने में सक्षम नहीं होते हैं, उन्हें डिफॉल्टरों की श्रेणी में डालते हैं। बैंक और वित्तीय संस्थान तब विभिन्न कानूनी कार्रवाई शुरू करते हैं, जो उधारकर्ताओं के संकटों को जोड़ते हैं। अब, उच्च न्यायालय का एक नया निर्णय उन लोगों को राहत प्रदान करेगा जो ऋण चुकाने में असमर्थ हैं।
उच्च न्यायालय ने ऋण डिफॉल्टरों के पक्ष में एक बड़ा निर्णय दिया
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने हाल ही में ऋण डिफॉल्टरों से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए, स्पष्ट किया कि यदि किसी भी उचित कारण के बिना एक लुकआउट परिपत्र (एलओसी) जारी किया गया है, तो इसे समाप्त कर दिया जाएगा।
अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे परिपत्र केवल गंभीर या आपराधिक मामलों में जारी किए जा सकते हैं। बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान सामान्य ऋण डिफ़ॉल्ट मामलों में एलओसी जारी नहीं कर सकते हैं।EMI Bounce 2025

EMI Bounce : लोन डिफॉल्टर्स के लिए हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मिली राहत
हाईकोर्ट ने बैंकों के अधिकारों को किया सीमित
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास ऋण डिफॉल्टरों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इसके साथ ही, अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा जारी ज्ञापन में उल्लिखित खंड को असंवैधानिक कहा। इस खंड ने सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के अध्यक्ष को एक LOC जारी करने के लिए सशक्त बनाया, जिसे उच्च न्यायालय द्वारा समाप्त कर दिया गया था।
केंद्र सरकार की दलील और हाईकोर्ट का जवाब
केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ऋण चूककर्ताओं के खिलाफ एलओसी जारी करने का अधिकार देने के लिए 2018 में एक कार्यालय ज्ञापन में संशोधन किया था। सरकार का तर्क था कि देश के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए यह व्यवस्था जरूरी है, क्योंकि कर्ज चूककर्ताओं का विदेश भागने से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है।
उच्च न्यायालय ने हालांकि इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि ऋण चूक अपराध नहीं है जब तक कि मामला बहुत गंभीर न हो या व्यक्ति पर कोई आपराधिक आरोप न हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि एलओसी जारी करना व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन हो सकता है।EMI Bounce 2025
कोर्ट का आदेश और सरकार का जवाब
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद एलओसी जारी करने के नियमों को लेकर बैंकों और सरकार के बीच बातचीत तेज हो गई है। केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी, जिससे बैंकों को एलओसी जारी करने का अधिकार मिल सकता है, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
गंभीर मामलों के बारे में कोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर लोन डिफॉल्टर के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज है या मामला बेहद गंभीर है तो उस स्थिति में एलओसी जारी किया जा सकता है। हालांकि, सामान्य लोन डिफॉल्ट मामलों में इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले से उन आम लोगों को बड़ी राहत मिली है जो लोन चुकाने में असमर्थ हैं। अब बैंक और वित्तीय संस्थान मनमाने तरीके से लोन डिफॉल्टर्स के खिलाफ एलओसी जारी नहीं कर सकेंगे। यह निर्णय व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है और यह भी स्पष्ट करता है कि ऋण पर चूक करना अपराध नहीं है जब तक कि मामला बेहद गंभीर न हो।
इस फैसले के बाद बैंकों को अपने नियमों और नीतियों में बदलाव करने की जरूरत होगी ताकि वे कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए लोन रिकवरी की दिशा में काम कर सकें।
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निष्कर्ष – EMI Bounce
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